अन्ना हजारे : भावनाओं और प्रबंधन का एक महान खिलाडी

आज २५ मार्च को एक बार फिर अन्ना जंतर मंतर पर अनशन कर रहें हैं, हलाकि आशीर्वाद लेने रामदेव  के पास भी गए थे, लेकिन रामदेव ने अन्ना और उनके टीम के पिछले कुटिल बैकग्राउंड (जो शायद आप सब जानते होंगे)  देखते हुए आश्वाशन का टुकड़ा फेंक कर अपनी व्यस्तता बता दी जो कि हर तरह से जायज था.

 अब बची जनता, जनता भी जान चुकी थी अन्ना के दावे और वादे कितने खोखले हैं, एक  ऐसा आन्दोलनकारी जो धमकियों और थप्पड़ से नहीं डरता जो एड्स के इंजेक्शन से नहीं डरता, वो मौसम कि मार से डर जाता है, ठण्ड से डर जाता है ( संज्ञान के लिए बता दूँ मै खुद अन्ना का समर्थक था).  अबकी जनता भी जंतर मंतर नहीं पहुची ( अभी मै जंतर मंतर पर ही हूँ, एक कोने में बैठ के ये लिख रहा हूँ). जिसमे नीयू मीडिया और सोशल नेटवर्क ने  काफी भूमिका निभाई क्योकि मीडिया तो आजकल पेड हो गयी गयी ये कोई भी बच्चा भी समझ सकता है. सो यहाँ कोई नहीं है  हाँ जितने टूरिस्ट हैं वो जरुर है या जो आमतौर पे संडे को आउटिंग करने वाले जंतु है वो कपल भी हाथ में हाथ डाले पहुचे हुए है और बीच बीच में एक दूसरे से अपने प्यार का प्रदर्शन भी सरे आम कर रहें हैं.

 अब बात आई कि अब दूकान कैसे चलायी जाए ??? जनता भी सजग, बाबा भी सजग मामला कैसे बढे. ??

 तो एक नया प्रोडक्ट लांच  किया गया मार्केट में (न्याय ) जो कि जनता कि भावनाओं से जुड़ा हो, एकदम हॉट केक कि तरह, जिससे जनता भावनाओं में बह जाए और एक बार कुटिल चालों  में फस कर पहुचे. जो टीम पहले कहती थी कि हमारा मुद्दा सिर्फ सिर्फ जन लोकपाल है वो आज अपना प्रोडक्ट बादल एक नया इमोशनल हॉट प्रोडक्ट ले आई है सोच के कि शायद हिट हो जाए. इसके लिए उन्होंने चुना ऐसे २५ परिवारों को जिन्होंने शहादत दी है, अब वो परिवार तो आयेंगे ही क्योकि वो चोट खाए  हुए हैं, लेकिन उनके इस दर्द को भी अन्ना और टीम ने अपना प्रोडक्ट बनाने से नहीं चुके. भावनाओ का एक सही इस्तमाल कैसे किया जाए वो अन्ना से सीखे.

 पहले आंदोलन होना था १८ मार्च को उस दिन क्रिकेट मैच पड़ गया सो  ग्राहक(भीड़) को ध्यान में रखते हुए इसे २५ को किया गया, इसको आप “डे” या “कस्टमर”   मैनेजमेंट कह सकते हैं.क्योंकि मुंबई में बिना भीड़ के अन्ना इस तरह से डिमोरलाईज्ड हुए कि उनका दिल टूट गया आखिर कार भागना पड़ा.

  अब आईये अन्ना के मिडिया मैनेजमेंट पे, अभी अभी २ जी से भी बड़ा स्कीम संज्ञान में आया है लेकिन मिडिया उसको छोड़ अब अन्ना कि चौथी लड़ाई पे पूरा दिन व्यतीत करने वाली है इसका सबसे बड़ा नमूना नीचे वाली तस्वीर है जिसको मैंने कल स्टार टी वी के लाईव से लिया था, जिसमे भाजपा  के किसी मुद्दों पे बात चल रही थी और चर्चाकार में राजनीतिज्ञ और मिडिया वालों का होना तो समझ में आता है लेकिन अन्ना टीम के मनीष का होना समझ में नहीं आया, लगा कि मुल्ला कि शादी में अब्दुल्ला दीवाना.

 

  अब इस बात से कोई बच्चा भी समझ सकता है कि क्यों मिडिया अन्ना को इतना तवज्जो क्यों  देती है. इतना तो समझ में आता है विदेशी फंड में बड़ा दम है.

 लेकिन इतना तगड़ा प्रबन्धन होने के बावजूद अबकी अन्ना और टीम जनता को आकर्षित नहीं कर पायी है, ये अन्ना टीम के लिए सोचनीय है और साथ में अन्ना के ईमानदार मिडिया वालो को भी, कहीं अन्ना बिदक कर अपना एड देना न बंद कर दें. अन्ना मित्र मिडिया मंडली को भी अब सोचना हो कि अन्ना को किस तरह से प्रोजेक्ट किया जाए कि अन्ना के लिए कस्टमर जुटाए जा सके.

 क्योकि मिडिया अन्ना के टोपी पहननें से उतारने तक का लाईव वर्णन जो कर रही है, देखने वालो के लिए हंसी का सवब बन रहा है, टूरिस्टो को भी जन भीड़ बनाने वाली मिडिया को (जिसमे एक मै भी हूँ) ध्यान में रखना चाहिए कि आम पढ़ा लिखा जागरूक जनता अब  मिडिया पे विश्वाश नहीं करता इस नीयू मिडिया और सोशल नेटवर्किंग के युग में.

 वैसे अब नीयूज चैनल से लाफ्टर चैलेन्ज वालो को भी चिंता होना लाजिमी है, क्योकि अब लोग हसने के लिए नियूज देखते हैं न कि कोई लाफ्टर शो.

 

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