कुछ महीने पहले आपने सुना था न “मैंने डिग्रियों को स्वयं चेक किया है, सब ठीक है, जीतेन्द्र तोमर को फसाया जा रहा है, ये मोदी की शाजिश है” और बाद में हुआ क्या ये सबको पता है, केजरीवाल को स्वयं कार्यवाही करनी पड़ी. बिहार चुनाव में हजारों करोड़ो के घोटाले स्वामी को इंसान तो इंसान गाय गोरु भैंस तक को पता है की उसका चारा किसने खाया, सुनने में आता है खुद उसके घर की भैंस गाय ने दूध हड़ताल कर दूध देने से मना कर दिया था, और उसको देख के अपनी आय्य्न्न , भाय्य्न्न की भाषा में उसे उसकी माँ बहन याद दिलाते थे, शायद वो सोच ये भी सोच रहे थे की काश गाय भैंस की जगह लकड़बघ्घा, या चमरगिध्द होते तो उसका स्थान विशेष नोचने में काफी सुभीता होता, और उसी के साथ भ्रस्टाचारके मसीहा केजरीवाल को गले मिलते सारी दुनिया ने देखा.
केजरीवाल किसी भी हद तक जाके अपने भ्रष्टाचारी को सपोर्ट करते है ये सारी दुनिया देख रही है और उनके वोटर भी, और सब समझ भी रहे है (धार्मिक सेकुलर के बारे में नहीं कहता, इनके लिए उनका टाइम टेबल ही सर्वोपरि है सो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता की कौन कितना भ्रस्टाचारी है).
हाल फिलहाल एक और मामला आया है, अतिक्रमणकारियों के समर्थन में केजरीवाल का आना एक तरह से सीधे सीधे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना ही है, और इसमें भी ये एक मासूम बच्चे के लाश पर भी राजनीति खेल गए, खैर लाश पे राजनीति करने में केजरीवालवाल का कोई सानी भी नहीं है, सारे देश ने टीवि पे लाइव देखा था की कैसे केजरीवाल की अगुयायी में राजेन्द्र किसान ने फांसी लगाई थी, अपनी अपनी तनख्वाह चारगुना कर लाखो बढवाने वाले केजरीवाल एंड कम्पनी उस आम किसान को लाइव ही फांसी लगवा दी, क्योकि वो गरीब किसान था, लेकिन इस आईएएस भ्रस्टाचार के आरोपी राजेन्द्र को बचाने सारी की सारी पार्टी यहाँ तक आ गयी की देश के पदेन प्रधानमंत्री तक को गालियों से नहीं बख्शा, और तो और इससे भी बढ़कर धमकाना की “ये मोदी को भारी पड़ेगा” कपिल का कहना की “मोदी को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे” ISIS के उस वीडियो की याद दिलाता है जो उसने कुछ दिन पहले देश के प्रधान मंत्री के खिलाफ जारी किया है. खैर ये केजरीवाल एंड कम्पनी के लिए कोई बड़ी बात नहीं जो खुद अपने ही वरिष्ट पार्टी कार्यकर्तावों को “कमीना” और “स्थान विशेष” में कुछ क्रिया करने जैसे विशेषणों से सिर्फ इस लिए नवाजते है क्योकि वो उनसे कुछ मामलो में असहमत होते है, तो ये कोई आश्चर्य नहीं की केजरीवाल बिना बुलेटप्रूफ कांच के भाषण देने वाले मोदी को कावर्ड कहें जो बस एक टायर फटने के डर से घिघिया जाते है
बचपन में एक फिल्म देखा था, नाम याद नहीं आ रहा, उसमे होता है ये है की बचपन में दो बच्चों का जन्म होता है एक ही हॉस्पिटल में, एक बड़े घर का होता है और दूसरा चोर, चोर अपने बच्चे को बड़े घर के बच्चे से इसलिए बदल देता है उसका बच्चा बड़ा हो के बड़े घर के संस्कार ले न की चोर का, लेकिन खून अपना रंग असर दिखाता है, बड़ा होने पर बड़े घर वाला बच्चा जो असल में चोर के खून का होता है वो संस्कार और खून बस गलत रास्ता ही अख्तियार करता है, जबकि चोर के घर वाला शरीफ इमानदार होता है, अन्ना ने इसे अपने गोद में रखते हुए, इसको पालते पोसते हुए हुए ये कभी नहीं सोचा होगा की ये अन्ना के संस्कार नहीं अपनाएगा लेकिन अन्ना का इमानदार कोख इस संस्कारित भ्रष्टाचार के मसीहा को अपना इमानदार संस्कार नहीं दे सका, एसा अरविन्द और आम आदमी पार्टी के कृत्य बताते है.
कोंग्रेस भी CBI का इस्तमाल करती थी, न ही ईमानदार मोदी घबराए न ही भाजपा घबराई न ही उनका CBI कुछ बिगाड़ पायी, न ही वो डरे, आप ईमानदार है तो आप क्यों घबरा रहे है ? इतना तो कोई फिलिमी नायक भी नहीं घबराता जब उसकी माशूका खो जाती है, केजरीवाल का भ्रष्टाचारी कितना याराना है ये उनके घबराहट से पता चलता है.
अन्ना के खोख से निकला भ्रष्टाचार का मसीहा किन किन भ्रष्टाचारियो का मसीहा बनता है और किस हद तक जा के और क्या क्या रंग दिखाएगा ये आने वाला वक्त ही बतायेगा, इसलिए अभी जादा उत्तेजित न होईये, सब समय पे छोड़ दीजिये. अंत में एक बात और, जब स्वयं केजरीवाल एंड कम्पनी इमानदारी का चोला ओढ़े खुले आम भ्रष्टाचार के इस स्तर के पैरोकार है तो इनके समर्थक किस मानसिक स्तर के होंगे कोई भी औसत बुध्धि का आदमी समझ सकता है.