श्रीमती जी के आदेश से जब बाजार पंहुचा तो देखा चौराहे पर एक आदमी जोर जोर से भाषण दे रहा था जिसको बस दो चार भैंसे और एक आध और जीव जंतु ही जुगाली कर सुन रहे थे शायद, बाकी इंसान तो बस मुसकरा कर कल्टी काट रहा था, भाषण था भी एकदम जोशीला , चेतना जागृत करने वाला .
मैंने पास खड़े एक भाई साहब से पूछा, “इनको क्या तकलीफ है ”
भाई साहब ने मुस्कराते हुए एक दूकान कि तरफ अंगुली दिखा दी,
नूरी, ठर्रा १५ रुपया , बगल में एक खूबसूरत युवती का भी चित्र बना हुआ था उस पुरुष के जिसने नूरी हाथ में ली थी …
अब समझ में आया इनके जड़ से चेतन होने का राज . मेरे भी एक मित्र हैं, जो चेतन अवस्था में आते ही जोर जोर से अंग्रेजी बोलना शुरू कर देते हैं.
इस पुरे जगत को दो भागो में बाटा गया है, अपने सरकार जैसे जड़ और और अमेरिका जैसे चेतन, जो सबकी खबर ले कर अपने लीक से लिक करता है, और जड़ में चेतन डालता है. कुछ तो अपनी बुद्धि और चेतना के लिए रासायनिक पदार्थों का भी उपयोग करते हैं, लेकिन इस विधि में चेतन के साथ श्रीमती कि आग रूपी गालियाँ भी मिलती है जिससे वाष्प रूपी चेतन परलोक गमन कर जाते हैं.
एक दिन मेरी मुलाकात दवे जी से हो गयी, सभी मुद्दों पे असहमति होते हुए भी बस एक कड़ी थी जो आपस में जोड़े रखती थी .. जैसे भारत और पाकिस्तान को कश्मीर , दिल प्रसन्न हो जाता जब वो अध्धा पौवा कि बात करते .
उनकि आयुर्वैदिक व्हिश्की वाली बात तो जहन में समां गयी थी , कभी सोचता था कि काश ये वाली चीज आ जाए मार्केट में तरो कितना मजा आ जाये लाईफ में, बीवी भी बोले कि “पि लिजिये जी मन मार के दो पेग, नाक बंद कर के ही पि लीजिए ”
मुझे भी विचार जंच गया, क्योकि आये दिन नशा मुक्ति मोर्चा वालों ने नाक में दम कर रखा था जिसकी अध्यक्ष हमारी श्रीमती थीं.
मैंने सोचा बाबा तो न बनायेंगे, हाँ हम जैसे कुछ उच्च कोटि के वैज्ञानिकों कि मदद ली जा सकती है.
और मै सोच कि दुनिया में पहुँच गया,
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मै दिन रात मेहनत कर रहा हूँ कि कैसे मै एक एसी आयुर्वेदिक व्हिश्की आविष्कार करूँ जो हर बिमारी में काम आये,खुजली से ले के कैंसर तक, बच्चे कोम्प्लान कि जगह और बूढ़े सिरप कि तरह इस्तमाल करें.
. इसके बाद मै दुनिया के आँखों का तारा बन जाऊं, लेखक गण मेरे बारे में रोज लिखे , स्टार न्यूज में कमल और कमल कि प्रतिभा ( गलत न समझे = टैलेंट ) को लेकर बहस हो, इंडिया टी वी मुझे दुनिया का दशवाँ अवतार घोषित कर दे, बाबा हमें अपना सचिव घोषित कर दे, और अन्ना के कोर कमेटी में जगह पक्की हो जाए, राजनैतिक पार्टियों में होड मच जाए मुझे अपना उम्मीदवार बनाने का वो भी बिना पैसे दिए.
एक दिन मेरी मेहनत सफल हो गयी, दूसरे दिन अखबार में मेरे आविष्कार के साथ साथ जहाज उर्फ दारु किंग के आत्म हत्या कि भी खबर छपी, बड़ा आघात लगा था उनको मेरे इस अविष्कार से. जहाज तो डूब ही चूका था अब दारु भी . मुझे थोडा सा छोभ तो हुआ, लेकिन अरबो जनता के आशीर्वाद के बोझ में दब गया ..
मेरी हाहाकारी आयुर्वेदिक व्हिश्की पुरे विश्व में लांच कि गयी डब्लू एच ओ कि मान्यता के साथ, अब तो ऋषि -मुनि लोग भी प्रसन्न हो गए, अब वो भी धड़ल्ले से मेरा आयुर्वेदिक सोमरस पान कर सकते थे वो भी मान्यता के साथ सरे आम, जनता के बीच.
इसका साफ़ असर समाज के साथ साथ जनता और सरकार पे देखा गया. सरकार नीतियाँ बनाने में लग गयी कि कैसे कमल के व्हिश्की को सब्सिडी दे के सस्ता किया जाए, ताकि इसका गुणकारी लाभ ३२ रूपये के नीचे वाली आम जनता भी ले सके.
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अब तो समाज का दृश्य ही बदल चूका था, बीवी रोज जबरजस्ती करती, कि टाइम टाइम से पेग लिया करो स्वस्थ्य रहोगे तो बच्चे भी स्वस्थ्य ही आएंगे दुनिया में, नहीं तो तमाम सरकारी इंजेक्शन लगवाने पड़ेंगे साल भर छोटे छोटे नवजातो को.
एक दिन बगल से आंटी आ गयी, श्रीमती से बोली , “बेटा जरा दो पेग देना मेरे यहाँ खत्म हो गया है, और बच्चों का एक्साम चल रहा है, आज ड्राई डे है, कल कोटा आयेगा तो वापिस कर दूंगी”.
श्रीमती जी ने दे तो दिया, लेकिन पीठ पीछे बडबडाने लगीं ” हफ्ते में दो दिन मांग के ले जाती है, कभी बच्चो के नाम पे तो कभी अपने पति के नाम पे, अब तक कुल चार बोतल से भी जादा हो गया यदि जोड़ा जाए तो”
अगली सुबह जब टहलने निकला तो सामने से सिंह साहब स्कूटर से आते दिखे, मै दोनों को ही श्रध्दा भाव से देखता था, सिंह साहब को उनके उम्र कि वजह से ( मैंने अपने सारे प्रयोग इन्ही पे किये थे ) और उनके स्कूटर को अनुभव कि वजह से, निहायत ही सीधा स्कूटर जिससे वो अपने श्रीमती जी से भी जादा प्यार करते थे, बिचारे में ब्रेक भी न था, पावँ से ही रुक जाता था.
मुझे देखते ही पावँ जमीन पे लगा दिया, कहा ” मिया तुम्हारा आविष्कार तुम पे खूब जंच रहा है, दिन ब दिन मोटे होते जा रहे हो, जरा सावधान रहो , आजकल तुम्हारे खिलाफ प्रपंच चलाये जा रहे हैं.
मै सहम के बोला ” मेरी इस अभूतपूर्व देंन में क्या कमी रह गयी. ???
सिंह साहब ” भाई जब से तुमने अपना नुख्शा दुनिया को दिया है, लोग घर में चेतना जाग्रत करने लगे हैं, सारे बार , पब पर ताला लग गया है, सो ये तो होना ही था..
उनकी ये बाते किसी एक पत्रकार ने सुन ली और पेपर में छाप दिया,
लोगो कि प्रतिक्रियाएं आने लगी, दिग्गु ने कहा ” इसमें आर एस एस का हाथ है ”
भाजपा ने कहा ” सरकार बार व्यापारियों से प्रभावित है, बाबा को नहीं छोड़ा तो कमल क्या चीज है ? ”
रजत जी ने मुझे अपनी अदालत में बुला कर बाईज्जत बरी कर दिया, हमेशा कि तरह जैसे बाकियों को किया करते थे .
मंदमोहन ने कहा मुझे इस बारे में कुछ मालुम नहीं.
अमूल बेबी ने कहा “जरुरत नहीं है कमल के भीख कि ”
तमाम एन जी ओ जो कि मेरे समर्थन में आ गए थे, विदेश से फंड भी मंगवा लिया मेरे सुरक्षा के नाम पे .
सवर्णों ने कहा “अच्छा हुआ , बड़ा आरक्षण कि तरफदारी करता था ”
दलितो ने कहा ” अच्छा हुआ, सवर्णों के साथ ऐसा ही होना चाहिए, हम लोगो को अपने आविष्कार में आरक्षण तक न दिया ”
और मै उन व्यापारियों के साथ अपना गम गलत कर रहा था अपना पेय भूल के …
तभी एक कौवे जैसी कर्कश ध्वनि कान में आई ” आज बाजार न जाओगे क्या ”
मेरी तन्द्रा टूटी , झोला उठाया उसी चौराहे पे जाना था, जहाँ कल चेतना जागरण शुरू हुआ था ..
कमल १७ नोव २०११