जन्नत कि हूर

 

मुस्लिम महिलाओं को 72 कुंवारे पुरुषों से सेक्स का अधिकार’

दीपावली आते ही पतियों कि जी के सांसत हो जाती है, हफ़्तों पहले अनावशयक चीजों कि लंबी सूचियाँ तैयार कर दी जाती है, और रोज शाम घर जाते डर लगता है कि कही कार्ड न मांग लिया जाए.

खैर आज दोपहर कार्यालय में फोन आया “आज जल्दी घर आ जाना, सामान लाना है, सीधे जाना, इधर उधर मत देखना, तुम मर्दों कि नजर ठीक नहीं होती. तुमलोगों को घर कि जोरू मैली कुचैली और बाहर कि हूर लगती हैं.”

तुम चुप भी करो, जब देखो  दिग्गी कि तरह ओसामा जी टाइप कि बाते कहती रहती हो , अरे हर मर्द गद्दाफी नहीं होता. झल्लाहट में फोन रख के बाहर निकला ही था तब से मेरे मित्र लातिफुर्ररहमान (जिनको हम प्यार से लफ्फु कहते थे )  मिल गए, बोले “चलो गुरु पान खाते हैं पन्नू चौरसिया के यहाँ से, कसम खुदा खा के जन्नत कि सैर करोगे”

मियाँ  दिमाग न खराब  किया करो  अब जन्नत के नाम पे पान  भी खिलाने लगे ???

लफ्फु : क्या बात करते हो मियाँ ??? इतना गरम क्यों ??सब ठीक तो है न ???

मैंने कहा :  यार  अखबार नहीं पढ़ते , तस्लीमा  ने कहा है कि हर मुस्लिम औरत को ७२ पुरुषों  के संसर्ग का लुफ्त जमीं पर ही लेना चाहिए, क्योकिं कुरआन में महिलाओं के लिए कोई सुविधा नहीं है.   मौलवी और मुल्लों ने शोर मचा रखा है, इसको को बंगलादेश से तो निकला ही था, अब लगता है उसको कहीं भी हिठने ने देंगे. भाई यदि कुरआन कहता है कि जो इस्लाम का पालन करे उसे मार दो तो जन्नत में तुम्हे हूरें मिलेंगी जो तस्लीमा से भी जादा भ्रष्ट और और सुन्दर होंगी तो तो मै भी तस्लीमा का समर्थन करता हूँ यदि ऐसा नहीं है तो    भरकस विरोध.

लफ्फु : भाई कुरआन का ये मतलब नहीं है, बस कुछ मुल्लाओं ने पता नहीं क्या साधने के लिए ऐसा बवंडर फैला रखा है कि पूछो मत.

मैंने कहाँ : अब ये तो तुम्हे ही पता होगा. यदि मनो ऐसा है तो इस्लामिक महिलाओं को जन्नत जाते ही खुदा से जेहाद करनी चाहिए कि ५० %  आरक्षण यहाँ भी दें, आखिर हक तो बराबरी का बनाता है न, उन्हें भी अधिकार है ७२ तंदरुस्त जवान मर्दों के साथ सुविधाएँ उठाने का.  ये तो हद है भाई, और मान लो कोई मुस्लिम महिला या पुरुष समलैंगिक हुआ तो क्या करोगे ??? कुरआन को संशोधित कराओ और उनके लिए भी जन्नत में ७२ समलैंगिक तैयार करो. आखिर ये सब जेहाद के नाम पर ही तो हो रहा है. भाई तस्लीमा ने जरा सी सही बात क्या कह दी इन मौलवियों ने शोर मचा के रख दिया है,यदि यही बाद कोई  अगर एसी कोई टिप्पड़ी हिंदू के बारे में कर दे तो आप लोग ही उसे सेकुलर बोलतें हैं. एम् हुसैन कि नग्न हिंदू  पेंटिंग्स को कला का नाम दिया गया और उसको बचाने भी  मुसलमान ही आये. भाई बड़प्पन तो तब होता जब आप भी उसका विरोध करते. आपका ही कोई यदि दूसरे धर्म के बारे में उल्टा सीधा कहे तो तो ठीक और अपने धर्म कि खामियां उजागर कर दे काफिर ??  फिर कहतें हैं कि मुसलमानों को शक कि नजर से देखा जाता है. भाई करम ही ऐसे होते हैं. अलगाव वादी गिलानी का कभी विरोध किया है आपने ???? कभी यदि किया होता तो शक करने कि शायद कोई वाजिब वजह होती. आप लोगो के लिए धर्म देश से बढ़ कर है. 

जब यहाँ बाबरी मस्जिद गिराया तो बंगला देश में हिन्दुवों के साथ अत्याचार हुआ. ये कहाँ का नियम है, कि कुकर्म यहाँ के हिंदू करें और सजा वहाँ के हिन्दुवों  को मिले. पाकिस्तान और बंगलादेश में आज भी हिन्दुवों के साथ अत्याचार हो रहें हैं तो हम लोग आपको यहाँ हिकारत  भरी नजर से तो नहीं देखते ????

आज सिर्फ हिन्दुवादी होना इस्लाम का विरोध करना कहलाता है, जबकि इस्लाम का गैर मुसलमानों को मारना खुदा कि सेवा ??????

भाई किसी हिन्दुवों या ईसाईयों के ऐसे संगठन  का नाम सुना है जो जेहाद के तर्ज पे हिन्दाद करतो हो या किसी ईसाई को जो इताद करता हो ?

शक का कारन हैं मिया.  आप इस्लाम जेहाद से बढ़ाते हो, गैर मुस्लिमो को मार कर, जबकि ईसाई लोगो कि सेवा कर के, यही अंतर है आप में और ईसाईयों में नहीं तो वो भी शक कि नजरो से देखे जाते.

हो सकता है मेरी सोच गलत हो , लेकिन जो सिनेमा दिख तरह है उससे तो यही सोच बनाती है, जिस दिन आप लोग किसी दूसरे धर्म का सम्मान करना शुरू कर देंगे, विश्वास मानिए शक कि कोई गुंजाईश न रहेगी.

लफ्फु : मियां  मैंने जन्नत, का नाम क्या ले लिया आप तो पिल पड़े, चलिए चौरसिया का पान खिलाते हैं आपको और जन्नत कि सैर अपने आप हो जायेगी. गुस्सा थूक दिजिये, बस कुछ चालबाजों के चक्कर में पड़ के सब गुड़ गोबर हो जाता हैं.

इतना सुनते ही मै लफ्फु भाई के साथ जन्नत का मजा लेने चल दिया.

 

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