तमाम कयास बयानबाजी को धता बता आखिर मोदी जीत ही गए. गुजरात में विपक्षी और देश में विपत्ति हो चुकी कोंग्रेस के दिन अब जल्द ही लदेंगे ये जनता ने दिखा दिया है.
बाप भले ही अपने बेटी से कितना भी प्यार करे लेकिन लेकिन उसको ले जाने वाला दूल्हा ही होता है, लेकिन कोंग्रेसी बाप कुछ उन निकृष्ट बापों में से है जो अपनी ही बेटी का सौदा करने से नहीं चुकते, ये बात कोंग्रेस ने समय समय पर खुद अपने कृत्यों द्वारा सिध्ध किया है. जो भी इनके कंधो पर अपना दारोमदार डालता है, ये उसी पर विप्पतियों का पहाड़ डाल मानो ये जताने की कोशिश करते है की तुमने हमें जेम्मेदारियां दी और हमने तुम्हे विपत्तियाँ, लो हिसाब बराबर.असम में जिन मुसलमानों ने इन्हें अपना मसीहा बनाया, वहां इतना खून खराबा हुआ जो आने वाले समय में एक इतिहास रहेगा. समय समय पर इनके सहयोगी दल सपा और अन्य भी कुछ एसा ही करते दीखाई देते हैं. जिस स्वदेशी के लिए गाँधी जी विदेशी कपड़ो की होली जलवाई उन्ही के अगुवाओं का विदेशी प्रेम देखते ही बनता है, चाहे वो व्यापार हो या अध्यक्षा.
कोंग्रेस के जबरजस्त नकारत्मक प्रचार भी मोदी को जनता से दूर तो क्या बल्कि हिला भी नहीं पाया. गुजरात ने तय कर लिया की मौत का सौदागर जो रोटी दे वो उन अमनवालों से लाख गुना बेहतर है जो रोटी छीनते है.
गुजरात ने ये दिखा दिया की सबकी बाप बनने वाली कोंग्रेस का गुजरात पे कोई जोर नहीं, गुजरात मोदी से प्यार से करती है.
कोंग्रेस का यह कहना हास्यद्पद ही की हम खुश है क्योकि मोदी उस बहुमत से नहीं जीत रहे जिसकी आशंका थी, ये कुछ वैसा ही लगता है जैसे कोई कहे की हम ताकतवर हैं क्योकि वो हमें लात घूंसों, डंडे, छड़ी से मारने वाला था, लेकिन बस एक लात ही लगाई.
अब देखना ये है की भारत की जनता मोदी से कितना प्यार करती है. युवावों और बुजुर्गो दोनों में ही मोदी की लोकप्रियता अब गुजरात की सीमाए तोड़ लगभग हर प्रदेश में बह चली हैं पुरे देश का बहुमत यही चाहता है की मोदी प्रधान मंत्री बने, लेकिन क्यों ? क्या कारन है मोदी के आगे सभी नेता बौने हो चुके हैं चाहे वो पक्ष के हों या विपक्ष के ? क्या कारन है की कोंग्रेस के साम्प्रदायिक कुटिल चालो से भारत की जनता अब और क्यों नहीं प्रभावित होगी ? इस कई कारन है, बकवास की जगह विकास सबसे अहम् मुद्दा है जो मोदी ने कर दिखाया, कोंग्रेस के दांत हाथी के हैं ये पूरा देश देख रहा है. पुरे कई सालो तक कोई काम न करने वाली कोंग्रेस चुनाव पास देखते ही डेल्ही में ६०० रूपये सीधे सबके अकाउंट में डाल, वोट के खरीद फरोख्त को लोकतान्त्रिक बनाने का तरीका जनता देख भी रही है और समझ भी रही है. जनता भी कोंग्रेस को कोंग्रेस के कुटिल चालो से ही जवाब देगी, पैसा भी ले लेगी और वोट भी नहीं देगी, और इसलिए लिए कह रहा हूँ क्योकि ये बाते मैंने बहुतों के मुह से सुनी है. गुजरात चुनाव के दौरान कोंगेस के अध्यक्षा सोनिया जीका ये कहना की इंदिरा जी यहाँ आयीं थी और आपने उनको वोट दिया और हम उनकी बहु हैं यहाँ आई हैं, हमें भी वोट दें, बड़ा ही हास्याद्पद और राजनातिक अदुर्दार्शिता ही दिखाती है. इनके कहने का मतलब ये की देश की जनता कई सालो तक कोंग्रेस की गुलाम रही है और आज भी रहिये.
इन सब के विपरीत मोदी ने सिर्फ और सिर्फ विकास को मुदा ही नहीं बनाया बल्कि उसको क्रियान्वित कर पुरे देश के लिए गुजरात को रोल माडल बनाया. मोदी ने अपने राज में कभी हिन्दू मुस्लिम की बाते नहीं की कही बल्कि हमेशा ६ करोड़ गुजरातियों की बाते कर हमेशा सबका दिल जीता. इसके विपरीत प्रधान मंत्री जी का ये कहना की देश के संसाधनों पर पहला हक़ अल्पसंख्यको का है, एक तरफा साम्प्रदायिक सोच के अलावा कुछ नहीं दिखाता और ये बात अल्पसंख्यक समुदाय भी बेहतरी के साथ समझता है, दिखाने को लोलीपोप खिलाने को नफरत का जहर. जाती पाती और धर्म को परे रखना भी मोदी की जीत में एक बहुत बड़ी भूमिका बनाते हैं. चुनाव से पहले कुछ धार्मिक संगठनो का लालच स्वीकार न कर उन्होंने ये साबित कर दिया की चुनाव धर्म और साम्रदायिकता के आधार पर नहीं बल्कि कार्य से जीते जाते हैं. बहुसंख्यक जनता ने बहुत ही सूझ बुझ का परिचय दिया है और ये बता दिया है.
मोदी की जीत से राजीनीतिक गलियारे में फिर से सुगबुगाहट जागेगी. अब देखना ये है की गुजरात के लिए बडबोली कोंग्रेस का मुह तो देखने लायक होगा ही हालकी इतने बडबोलेपण के बाद शायद ही उसको दिखाना चाहिए लेकिन फिर भी मान लेना चाहिए की बेशर्मता की हद को पार कर दिखाती भी है, जिसके लिए वो जानी जाती है तो चेहरा कैसा होगा ? साथ ही भाजपा के सीने में जादा दर्द होगा. भाजपा चाहती तो थी की मोदी जीते लेकिन इसके साथ की उन्हें प्रधानमन्त्री पद की उम्मेदवारी से वंचित रखा जाये. यानी एक उस पुरुष की तरह जो किसी महिला को उसकी खूबसूरती और व्यक्तित्व से प्यार तो करता है लेकिन अधिकार नहीं देना चाहता, बल्कि इस्तमाल कर संतावना देने की फिराक में है. लेकिन भाजपा को यह समझना चाहिए की उसके हिंदुत्व के एजेंडे में अब कोई दम नहीं है, बल्कि मोदी मैजिक है भाजपा को आगे ले जा सकती है. मोदी ही वह मैजिक है जो हिंदुत्व का ध्यान रखने के साथ मुसलमान, पारसी और अन्य धर्मो को उनको पूरा हुकुक, इज्जत दे सकती है, न का भाजपा का थोथा चना बाजे घना.भाजपा को मोदी का प्रधानमन्त्री पद से दरकिनार करना भाजपा को निश्चित ही भारी पड़ेगा क्योकि मोदी जितना मजबूत कन्धा भाजपा के किसी नेता का नहीं जिस पर पर वह अपना चुनावी बन्दुक रख विपक्षी को निशाना बना सके.
मोदी जी को बधाई, भाजपा को नसीहत, और कोंग्रेस को मेरी तरफ से गुजरात के लिए हार्दिक श्र्न्धांजलि और संतावना.
सादर
कमल कुमार सिंह
२० दिसम्बर २०१२