भारत में मुस्लिम्स लाचार, बिना अधिकार

“मुस्लिमो को भारत में सच में अधिकार नहीं” ..­

क्यों ?

“अरे क्योकि हम कह रहे है.”

आप कौन ?

“अरे हमें नहीं जानते, लो स्टैण्डर्ड पीपल, हम हिन्दू मुस्लिम एकता कार्यकर्त्ता के सदस्य, तुम हमें सेकुलर भी कह सकते हैं.”

आप ये कैसे कह सकते की यहाँ उनको कोई अधिकार नहीं है ? कोई वजह ?

“कैसे नहीं है का क्या मतलब ? अरे नहीं है ? आप बता दो की कैसे है ? ”

अरे सबकी तरह उनको वोट डालने का अधिकार है , अभिव्यक्ति का अधिकार है , देश सभी सुविधावो का अधिकार है , कुछ धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का कहना है की उन्ही का पहला हक़ है, और आप कहते हैं उनको अधिकार नहीं है .

“आपको पता नहीं है मेरे साम्प्रदायिक भाई , ये जो उनको मिल रहा है देश के सविधान के अधिकार है, जो सबके लिए हैं, लेकिन उनका अधिकार कहाँ है ?ये उनका अधिकार तो नहीं, ये तो वो है, जो यहाँ सबको मिलता है ?”

तो उनका क्या अधिकार है, और उनके लिए क्या किया जाए या उनको और क्या दिया जाना चाहिए जिससे आपको लगे की उनके भी भारत में अधिकार है, वो भी भारतीय है.

“तुम कुछ नहीं समझते, शायद तुम आजकल सांप्रदायिक लोगो के साथ रहते हो, कही आर एस एस के तो नहीं ? जरुर संघी होगे जो जरा भी बात भी नहीं समझ में आती. मेरे साम्प्रदायिक भाई, देखो हर मुस्लिम बहुल देशो में सिर्फ उनके ही अधिकार होते, या मुस्लिम बहुल देश तो छोडो, मुस्लिम बहुल भारत क्षत्रो तक में सिर्फ उनके ही अधिकार होते हैं ? बाकी जगह नहीं, पुरे देश में नहीं, है की नहीं अन्याय ? जब वो हमारे भारत के नागरिक है तो उनके ईस्लामिक अधिकारों की रक्षा का हमारा कर्तव्य बनता है, उनको ये छुट होनी चाहिए की वो किसी का जबरजस्ती धर्म परिवर्तन करवाए, लेकिन यहाँ भारत में, गैरमुस्लिम का क़त्ल भी इस्लाम का हवाला दे करवा दे तो ये गुनाह हो जाता है,क्या ये है मुस्लिमो के साथ न्याय ? नहीं हरगिज नहीं ? वो भारत में इस्लाम में नाम पर गैर मुस्लिमो का घर नहीं फूंक सकते ? उनको क़त्ल नहीं कर सकते ? आखिर भारत कर क्या रहा है उनके लिए ? कुछ भी तो नहीं , भाई चारा बढ़ाना है तो उनके अधिकार हमें देने ही होंगे ?”

क्या आपको लगता है की भारत के मुस्लिमो को इस तरह के अधिकारों की आवश्यकता है ? क्या वो एसा चाहते हैं, क्या आपने उनसे या उनके किसी प्रतिनिधि से बात की है ? क्या उन्होंने ऐसी कोई इक्षा व्यक्त की है ?

“आ गए न अपने साम्प्रदायिक रंग वाले औकात पे, उनके अधिकारों की बात सुनते ही जल भुन जाते हो तुम सांप्रदायिक लोग, वो चाहे या न चाहे, वो दबे कुचले हैं, उन्हें उनके अधिकारों को याद दिलवाना होगा, तब न चाहेंगे, तुम जैसे साम्प्रदायिक लोग किसी का भला कहाँ होने देते है , क्या अब ये हरित क्रांति वाले क्या गेहू से पूछ के क्रांति करते हैं, सुन्दरलाल बहुगुणा ने पेड़ से पूछ के क्रांति किया था ? मुर्ख कही के,”

और भाई जी हिन्दू ?

“ये क्या होता है ?”

अरे माने बाकी के यहाँ के गैरमुस्लिम ?

“क्या हुआ उनको ?”

माने उनके कोई अधिकार नहीं ?

“तुम फिर लगे सांप्रदायिक बात करने, साले भगवा, तुम लोग मुर्ख हो, तुमसे बात ही करना बेकार है. सालों तुममे न कोई तमीज है न संस्कार, बस आ जाते हो खाकी चढढही पहिन के, तमीज से बात करने की भी अक्ल नहीं, मुर्ख कहीं के, ब्लडी नॉन सेकुलर .”

एसा कहने वाले आप कौन ?

“उफ्फ्हो, तुम भगवो और गैर मुस्लिमो को कौन समझाए, तुम लोगो से बात ही करना बेकार है, यू पीपुल आर कम्युनल, नाट स्टैण्डर्ड पीपल टू टाक, कितनी बार बताये, वी आर द सेकुलर, वर्किंग फार हिन्दू मुस्लिम्स ब्रदर हुड. यू फूल नेवर अंडरस्टैंड, सेन्स लेस गाइज, पहले जाओ कुछ पढो लिखो, ज्ञान सीखो, और सबसे पहले मूर्खो बात करने की तमीज सीख के आओ, बेवकूफ ,बेहूदा कहिं के पता नहीं कहाँ कहाँ से आ जाते है खाकी पहिन के .”

ह्म्म्म जी, वी फूल पीपल ….

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